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चित्तौडग़ढ़ जिले के सबसे बड़े राजकीय चिकित्सालय में पिछले तीन दिन से सोनोग्राफी नहीं हो रही है लेकिन चिकित्सालय प्रशासन नियमों की दुहाई दे वैकल्पिक व्यवस्था नहीं कर पा रहा है। जिला अस्पताल में सोनोग्राफी करने के लिए तीन डॉक्टरों के पद स्वीकृत है लेकिन पिछले करीब डेढ़ माह से एक डॉक्टर के भरोसे ही सोनोग्राफी की जा रही लेकिन वो चिकित्सक भी २९ मार्च के लिए अवकाश चले गए है जिससे जिला अस्पताल में सोनोग्राफी होना बंद हो गया है। अस्पताल में भर्ती या उपचार कराने आए मरीजों को भी सोनोग्राफी कराने के लिए बाहर के जांच केन्द्रों पर जाना पड़ रहा है तो कई मरीज सोनोग्राफी कक्ष के ताला देख बिना लगाए ही लौट जाते है। मरीजों को समस्या को लेकर नहीं जनप्रतिनिधि व जिला प्रशासन गंभीर नहीं दिख रहा है। जिम्मेदारों का कहना है कि सोनोग्राफी के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने के लिए पीएमओ सीएमएचओ को पत्र लिखता हैउ सके बाद कमेटी की बैठक आयोजित की जाती है। इसके बाद स्वीकृति मिल सकती है। इस पूरी प्रक्रिया में करीब एक माह का समय लग सकता है।
गदंगी को देख नाराज हुए संयुक्त निदेशक
जिला अस्पताल में गरुवार को चिकित्सा एंव स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त निदेशक एएन माथूर निरीक्षण करने पहुंचे। इस दौरान उन्होंने सांवलियाजी अस्पताल सहित महिला अस्पताल में लेबर रुम, मदर मिल्क बैंक सहित कई जगह साफ-सफाई का जायजा लिया। कई जगह गदंगी देख नाराजगी जताते हुए सफाई कराने के निर्देश दिए।माथुर ने इस दौरान नकारा सामानों के निस्तारण पर भी चर्चा की। दोनों अस्पतालों का निरीक्षण करने के बाद सीएमएचओ कार्यालय भी पहुंच व्यवस्था देखी। इस दौरान पीएमओ डॉ. मधुप बक्षी, नर्सिंग अधीक्षक बलदेव सोमानी सहित अस्पताल स्टाफ के कई सदस्य मौजूद थे।
संयुक्त निदेशक की कार बनी मरीजों के लिए परेशानी
अस्पताल निरीक्षण के दौरान संयुक्त निदेशक माथुर की कार काफी देर तक अस्पताल के मुख्य द्वार पर ही खड़ी रही। इस दौरान एक कार में दुर्घटना में घायल को लेकर कुछ लोग पहुंचे लेकिन कार खड़ी होने से उतारा नहीं जा सका। कुछ देर इन्तजार के बाद मरीज को अस्पताल में ले जाया जा सका।
सोनोग्राफी की वैकल्पिक व्यवस्था करने के लिए कमेटी से स्वीकृति लेनी होती है। इस प्रक्रिया में समय लग जाता है।
एएन माथूर, संयुक्त निदेशक, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग उदयपुर