चित्तौडग़ढ़. जिले में गुरूवार को गौराजी का निम्बाहेड़ा व भीमगढ़ गांव में भ्रष्टाचार निरोधकब्यूरो (एसीबी) की कार्रवाई में जब्त करीब 145 किलो अफीम एवं दस क्विंटल से अधिक डोडा चूरा पर शुक्रवार को अफीम काश्तकारों ने अपना हक जताते हुए लौटाने की मांग की है। नारकोटिक्स विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों की मादक पदार्थ तस्करों से सांठगांठ की शिकायतों के आधार पर एसीबी की कार्रवाई में गौराजी के निम्बाहेड़ा में अफीम मुखिया छगनलाल पुत्र नन्दराम जाट के घर पर छापा में 136 किलो 690 ग्राम अफीम, 8.10 क्ंिवटल डोडा चूरा,22 लाख रूपए की नकदी, अवैध पिस्टल, दो देशी कट्टे, तीन जिन्दा कारतूस बरामद किए थे। एसीबी टीम ने भीमगढ़ में अफीम काश्तकार किशन पुत्र कालू जाट के घर जांच की तो वहां बाल्टियों में रखी नौ किलो अफीम व 221 किलो 800 ग्राम डोडा चूरा जब्त किया।
इस मामले में दोनों गांवों के अफीम किसान गुरूवार को चित्तौडग़ढ़ पुलिस इंदिरा गांधी स्टेडियम में एकत्रित हुए जहां से किसानों ने पहले नारकोटिक्स विभाग में जिला अफीम अधिकारी, जिला कलक्टर, जिला पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंप जब्त अफीम की बाल्टियां व डोडा चूरा दिलाने की मांग की। किसानों ने सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना को भी ज्ञापन सौंपा।इन ज्ञापन में बताया गया कि एसीबी व पुलिस कार्रवाई के दौरान मुखिया के घर से अफीम से भरी वे बाल्टियां भी उठाकर ले जिन पर किसानों के नाम लिखे हुए थे। किसानों का कहना था कि जो अफीम जब्त की गई उसकी चित्तौडग़ढ़ नारकोटिक्स विभाग में हाजिरी की तारीख ७ अप्रेल तय थी। इसके अगले दिन तुलाई होनी थी।
अफीम नहीं लौटाई तो आंदोलन
चित्तौडग़ढ़ डेयरी चेयरमैन बद्रीलाल जाट ने एसीबी की कार्रवाई का विरोध करते हुए कहा कि गुरुवार का दिन अफीम किसानों का काला दिन था। उन्होंने चेतावनी दी कि अफीम तुलाई के समय से पहले किसानों को उनकी अफीम नहीं मिली तो उग्र आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इन किसानों की अफीम में गुणवत्ता में किसी भी प्रकार की कमी आती है ैतो उसकी जिम्मेदारी पुलिस की होगी। इस दौरान किसान नेता बद्रीलाल जाट जगपुरा, कपासन प्रधान भैरुलाल चौधरी सहित बड़ी संख्या में अफीम किसान मौजूद थे।
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धूप में सड़क पर बैठ गए किसान
नारकोटिक्स विभाग में ज्ञापन देने के बाद अफीम काश्तकार डेयरी चेयरमैन बद्रीलाल जाट केे नेतृत्व में कलक्ट्रेट पहुंचे तो पुलिस ने अंदर प्रवेश से रोक दिया। पुलिस ने निषेधाज्ञा लागू होने से केवल पांच प्रतिनिधियों को ही अंदर जाने की अनुमति दी। ऐसे में शेष किसान कलक्ट्रेट के बाहर तेज धूप में सड़क पर ही बैठ गए। पसीने से बेहाल किसान प्रतिनिधियों के बाहर आने तक सड़क पर ही बैठे रहे।