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पिता ने मासूम बेटों को दूध में जहर मिलाकर पिलाया फिर खुद ने भी जहर पी लिया।


चित्तौडग़ढ़. जिले के बस्सी क्षेत्र के मेघपुरा गांव में बुधवार को उस समय लोगों की जुबां से शब्द भी नहीं निकल पाए जब एक कमरे को खोलने पर तीन शव एक साथ सामने आए। एक युवक के साथ उसके दो मासूमों पुत्रों के शव देख लोगों के दिल दहल उठे तो पूरे गांव में माहौल गमगीन होने के साथ सन्नाटा छा गया। पड़ोसियों की सूचना पर बस्सी थाना पुलिस मौके पर पहुंची। उपाधीक्षक नरपत सिंह ने मौका मुआयना कर शवों को बस्सी के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचाया। पुलिस ने मौके के हालात को देख अनुमान लगाया है कि मृतक मेघपुरा गांव निवासी देवीलाल कुम्हार (35) पुत्र मांगीलाल कुम्हार ने पुत्र सूरज (6 ) व धर्मेंद्र (4) को दूध में जहर मिलाकर पिलाया। इसके बाद स्वयं ने भी पानी में जहर मिलाकर मौत को गले लगा लिया। बताया जाता है कि दो माह पूर्व पत्नी के घर छोड़ चले जाने के बाद से युवक बच्चों की देखभाल को लेकर मानसिक तनाव में था। पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिए गए। पोस्टमॉर्टम में मौत का कारण विषाक्त सेवन करना बताया गया है। 
बस्सी थाना अधिकारी हनुमान सिंह ने बताया कि देवीलाल व उसके दोनों पुत्रों को पड़ोसियों ने सोमवार शाम को आखिरी बार घर पर देखा था। इसके बाद बुधवार दोपहर तक कमरे के किवाड़ बंद होने और किसी के नजर नहीं आने पर पड़ौसियों को संदेह हुआ। पड़ौस में रहने वाली एक महिला ने घर पर जाकर किवाड़ खटखटाया, लेकिन किसी की आवाज नहीं आई। इस पर घर के बाहर लोग एकत्रित हो गए। कमरे के ऊपर का रोशनदान तोड़कर लोग अंदर गए। कमरे में तीनों मृत अवस्था में पड़े थे। मेघपुरा के भैरूलाल धाकड़ ने बस्सी थाना पुलिस को इसकी सूचना दी। थानाधिकारी हनुमंत सिंह पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और जांच शुरू की। 
होटल पर काम करता था दिव्यांग देवीलाल
लोगों ने बताया कि एक पैर से दिव्यांग देवीलाल के माता-पिता की पांच वर्ष पूर्व ही मौत हो चुकी हैं। दिव्यांग देवीलाल एक होटल पर काम करता था। दो माह पूर्व ही उसकी पत्नी ने किसी दूसरे व्यक्ति से नाता विवाह कर लिया था। तभी से वह मानसिक रूप से परेशान था। देवीलाल ही दोनों बच्चों को सुबह-शाम खाना किलाता और देखभाल करता था। बड़ा पुत्र सूरज सरकारी स्कूल में पहली कक्षा में पढ़ता था। मां के चले जाने के बाद वह भी कभी-कभार ही स्कूल जा पाता था। 
छोटे भाई की देखभाल के लिए स्कूल नहीं जाता था सूरज
दो माह पूर्व जब मां किसी के साथ चली गई और पिता देवीलाल होटल पर काम करने चला जाता था। पीछे से बड़ा पुत्र सूरज छोटे भाई की देखभाल के लिए घर पर ही रहता था, स्कूल नहीं जा पाता था। पड़ौसियों ने बताया कि दो-तीन दिन से वह काफी उदास दिख रहा था, लेकिन किसी को भी उसने मन की बात नहीं बताई। सोमवार की शाम को लोगों ने उसे दूध लेकर जाते देखा था। इसके बाद वह और उसके दोनों बच्चे दिखाई नहीं दिए। 
मेघपुरा में माहौल हुआ गमगीन
देवीलाल और दोनों बच्चों की मौत का समाचार मिलते ही गांव में सन्नाटा छा गया। उसके परिजनों को रो-रोकर बुरा हाल हो था। शाम तक गांव में किसी घर में चुल्हा नहीं जला एवं लोग शोक में डूबे रहे।