Kanera News
निम्बाहेड़ा क्षेत्र में मानसून सत्र में उपखण्ड क्षेत्र में जून माह में जैसे - जैसे गांव में बुवाई लायक बारिश हुई, किसानों ने खरीफ फसलों की बुवाई शुरू कर दी। जून के अतिंम सप्ताह में प्रत्येक क्षेत्र में पर्याप्त बारिश के चलते 90 प्रतिशत किसानों ने फसलों की बुवाई कर ली। शेष रहे किसान भी बुवाई करने में जूटे हुए है।
कृषि विभाग के अनुसार निम्बाहेड़ा उपखण्ड में 35 ग्राम पंचायत मुख्यालयों सहित 161 राजस्व व 17 गेर राजस्व कुल 178 गांव है। सम्पूर्ण उपखण्ड़ क्षेत्र में 42 हजार से भी अधिक हैक्टयर कृषि भूमि में से अब तक 40 हजार 9 सौ हेक्टयर क्षेत्रफल में किसानों ने खरीफ की विभिन्न फसलों की बुवाई कर ली है।
सोयल हैल्थ कार्ड की रिपोर्ट में बीजों का चयन
सहायक कृषि अधिकारी रमेश पोखरना ने बताया कि किसानों को कृषि पर्यवेक्षको के माध्यम से समय-समय पर सोयल हैल्थ कार्ड की रिपोर्ट में दर्ज भूमि की उर्वरक शक्ति के अनुसार बीजों का चयन कर बुवाई की सलाह दी जाती रही है। तथापि बुवाई के पूर्व किसानो ने भूमि व बीज उपचार कर बुवाई की है। विभागीय सीड ड्रेसर के माध्यम से भी किसानो ने बीज उपचार कराने का लाभ लिया है। सहायक कृषि अधिकारी पोखरना के अनुसार आसन्न खरीफ सीजन में किसानो का रुझान मक्का की बुवाई की ओर अधिक है, जबकि सोयाबीन बुवाई का रकबा घटा है। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा क्षेत्र के 72 किसानों को प्रति एक बीघा में बुवाई के लिए 4 किलो उड़द के मिनी किट वितरित किए हैं। कृषि पर्यवेक्षक गुलाम नबी मंसूरी ने बताया कि उपखण्ड क्षेत्र में 200 हैक्टेयर में मक्का प्रदर्शन के लिए किसानों को बीज उपलब्ध कराए जाकर मक्का की बुवाई कराई गई है। किसानो ने तिल्ली, मूंग, उड़द इत्यादी खरीफ फसलो की भी बुवाई की है।
कृषि विभाग के अनुसार निम्बाहेड़ा उपखण्ड में 35 ग्राम पंचायत मुख्यालयों सहित 161 राजस्व व 17 गेर राजस्व कुल 178 गांव है। सम्पूर्ण उपखण्ड़ क्षेत्र में 42 हजार से भी अधिक हैक्टयर कृषि भूमि में से अब तक 40 हजार 9 सौ हेक्टयर क्षेत्रफल में किसानों ने खरीफ की विभिन्न फसलों की बुवाई कर ली है।
सोयल हैल्थ कार्ड की रिपोर्ट में बीजों का चयन
सहायक कृषि अधिकारी रमेश पोखरना ने बताया कि किसानों को कृषि पर्यवेक्षको के माध्यम से समय-समय पर सोयल हैल्थ कार्ड की रिपोर्ट में दर्ज भूमि की उर्वरक शक्ति के अनुसार बीजों का चयन कर बुवाई की सलाह दी जाती रही है। तथापि बुवाई के पूर्व किसानो ने भूमि व बीज उपचार कर बुवाई की है। विभागीय सीड ड्रेसर के माध्यम से भी किसानो ने बीज उपचार कराने का लाभ लिया है। सहायक कृषि अधिकारी पोखरना के अनुसार आसन्न खरीफ सीजन में किसानो का रुझान मक्का की बुवाई की ओर अधिक है, जबकि सोयाबीन बुवाई का रकबा घटा है। उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा क्षेत्र के 72 किसानों को प्रति एक बीघा में बुवाई के लिए 4 किलो उड़द के मिनी किट वितरित किए हैं। कृषि पर्यवेक्षक गुलाम नबी मंसूरी ने बताया कि उपखण्ड क्षेत्र में 200 हैक्टेयर में मक्का प्रदर्शन के लिए किसानों को बीज उपलब्ध कराए जाकर मक्का की बुवाई कराई गई है। किसानो ने तिल्ली, मूंग, उड़द इत्यादी खरीफ फसलो की भी बुवाई की है।
70 प्रतिशत खेतों में की बुवाई
बीज विक्रेताओं के अनुसार गत खरीफ फसल सत्र के दौरान क्षेत्र में 70 प्रतिशत खेतों में सोयाबीन व 30 प्रतिशत खेतो में मक्का की बुवाई की गई थी। जबकि आसन्न बुवाई सत्र में ठीक उलट 70 प्रतिशत में मक्का व 30 प्रतिशत क्षेत्रफल में सोयाबीन की बुवाई की गई है। गत वर्ष की तुलना में मूंगफली की बुवाई का रकबा इस वर्ष कुछ बढा है। बुवाई से निपटने के के बाद किसानों ने खरपतवार नाशक दवाइयां खरीदना शुरू कर दी है। अनुमान है कि अगामी सप्ताह के बाद खरपतवार नष्ट करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
बीज विक्रेताओं के अनुसार गत खरीफ फसल सत्र के दौरान क्षेत्र में 70 प्रतिशत खेतों में सोयाबीन व 30 प्रतिशत खेतो में मक्का की बुवाई की गई थी। जबकि आसन्न बुवाई सत्र में ठीक उलट 70 प्रतिशत में मक्का व 30 प्रतिशत क्षेत्रफल में सोयाबीन की बुवाई की गई है। गत वर्ष की तुलना में मूंगफली की बुवाई का रकबा इस वर्ष कुछ बढा है। बुवाई से निपटने के के बाद किसानों ने खरपतवार नाशक दवाइयां खरीदना शुरू कर दी है। अनुमान है कि अगामी सप्ताह के बाद खरपतवार नष्ट करने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।