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अफीम नीति में संशोधन की पुरी खबर

कनेरा न्यूज़
अफीम की खेती के लिए जारी नीति में अफीम काश्तकारों को एक बार फिर खुशखबरी मिली है। किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुये केंद्र सरकार ने इस वर्ष के लिये जारी अफीम पॉलिसी में मार्फिन औसत 4.5 किग्रा. प्रति हैक्टे. में रियायत प्रदान करते हुये 4.0 किग्रा. प्रति हैक्टे. कर दी। सरकार के इस महत्वपूर्ण निर्णय से 6500 संख्या में किसानों को लाभ मिलेगा। केन्द्र सरकार के द्वारा किसानों के हित में लिये गये इस निर्णय पर चित्तौड़गढ़ सांसद सी.पी.जोशी ने दिल्ली पंहुच कर लोकसभाध्यक्ष ओम बिरला एंव केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण व वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर से मिलकर सरकार के द्वारा लिये गये निर्णय का स्वागत करते हुये उनका आभार व्यक्त किया। विगत 5 वर्षो में सरकार के द्वारा किसान हितों में लिये गये निर्णय से अफीम लाईसेंस 18 हजार से बढकर 80 हजार से अधिक हो पाये हैं। विगत वर्ष भी किसानों के लिये मॉर्फिन औसत 5.9 किग्रा. प्रति हैक्टे. की बजाय 4.9 किग्रा. प्रति हैक्टे की गई थी। इस वर्ष जारी पालिसी में मारफिन औसत 4.9 किग्रा. प्रति हैक्टे के स्थान पर 4.5 किग्रा. प्रति हैक्टेयर रखी गई थी। इसके साथ ही इस बार भी NDPS एक्ट के प्रकरणों में न्यायालय द्वारा दोषमुक्त किसानों को राहत प्रदान करते हुए उनके लाइसेंस को बहाल किये जाने का निर्णय किया गया है। गौरतलब हैं कि सरकार द्वारा किसानों के पक्ष में विगत 5 वर्षो में कई सौगाते प्रदान की गई जिनमें वर्ष 2004-05 से अब तक के कटे पट्टे 103 की निर्धारित औसत पूर्ण करने पर जारी किये गये। पॉलिसी में वर्णित 58 की औसत के बजाय 49 की औसत के आधार पर वर्ष 2016-17 के लिये किसानों को लाईसेंस जारी किये गये। अफीम नीति वर्ष 2016-17 में राहत देते हुये वे किसान जो कि 2007-08 व 2008-09 में घटिया अफीम देते हुये पॉलिसी के तहत लाईसेंस प्राप्त करते हुये 2008-09 व 2009-10 में डिलाईसेंस नहीं हुये ऐसे किसानों को विषेष राहत प्रदान करते हुये पात्र माना गया। वर्ष 2013-14 से 2015-16 के मध्य लाईसेंस की पात्रता रखने वाले किसान किसी कारण से बुवाई नहीं कर पाये उन्हे भी नियमानुसार अफीम लाईसेंस जारी किये गये । किसानों को अफीम फसल में खराबे के कारण हंकवाई के पष्चात् पोस्त दाना लेने का निर्णय। ओलावृष्टि से प्रभावित किसानों को पुनः लाईसेंस देने का निर्णय। गाँव में छः पट्टों की अनिवर्यता समाप्त करते हुये एक पट्टे होने पर भी अफीम खेती किये जाने का निर्णय। वर्ष 2009-10 से 2014-15 तक 55 डिग्री से कम गाढ़ता के कारण कटे अफीम को बहाल किये जाने का निर्णय। अफीम के पट्टे मुखिया के माध्यम से सीधे गाँव में किसानों को वितरित करने का निर्णय। गैर आबादी गाँव में अफीम बुवाई करने का निर्णय। काष्तकारों को घर के पास 3 कि.मी. परिधी तक स्वंय के खेत पर अफीम खेती करने की छुट। अफीम तौल के घटीया व अषुद्धियों के मानकों मे परिवर्तन। औसत वर्ष 2017-18 के लिये 60 की बजाय 56 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से होगी। वर्ष 1998 से 2003 तक जिन किसानों को औसत से कम अफीम देने पर अपात्र घोषित हो गये थें ऐसे किसानों को उस वर्ष की मानक औसत से 1 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर तक की औसत में छुट प्रदान कर की गयी। ऐसे कृषक जिनका अफीम लाइसेंस फसल वर्ष 2004-05 या बाद के वर्षों में फसल वर्ष 2015-16 तक के बन्दोबस्त के समय निरस्त हो गया था, वे किसान फसल वर्ष 2018-19 में लाईसेंस पाने हेतु पात्र होगें यदि उन्होनें विगत लगातार पांच वर्षो तक अफीम की खेती कर अफीम सरकार को सौंपी हो तथा उन पांच वर्षों में उनके द्वारा सौंपी गयी अफीम का औसत आगामी फसल वर्षों के न्यूनतम अर्हता उपज  के 100 प्रतिशत के बराबर या उससे अधिक रही हो। इस वर्ष 2018-19 की अफीम नीति में वर्ष 1985 के बाद पहली बार एनडीपीएस एक्ट के तहत किसी काश्तकार पर मुकदमा दर्ज हो जाने के कारण रोके गये अफीम लाइसेंस काश्तकार के प्रकरण में न्यायालय के निर्णय से बरी हो जाने के उपरान्त भी लाईसेंस नही दिये गये थे जो इस नीति में दिये जायेंगे। वे किसान जिन्होनें फसल वर्ष 2017-18 के दौरान अफीम पोस्त की खेती की थी और उसके मार्फीन की औसत उपज 4.9 किग्रा/हैक्टेयर या अफीम की औसत उपज 52 किग्रा/हैक्टेयर से कम नही थी। वे सभी काश्तकार अफीम लाईसेंस के पात्र रहेंगे। वर्ष 2004-05 से 16-17 तक की अवधि में किसी भी काश्तकार का पट्टा उसके द्वारा लगातार 2 या 3 बार से अधिक हंकवा दिया हो, नाम में भिन्न्ता के कारण तथा अन्य किसी कारण से अफीम की खेती नही कर सका हो जिससे वंचित कर दिया गया था इन काश्तकारों को भी इस वर्ष में पट्टा दिया जायेगा। वर्ष 1999-2017 तक की अवधी में जिन काश्तकारों की अफीम अन्य तत्वों के कारण घटीया घोषित कर दिया गया था किन्तु मार्फीन 9 प्रतिशत से अधिक थी उन वंचित काश्तकारों को भी इस वर्ष में पट्टा दिया जायेगा। वर्ष 1998 से 2003 तक की अवधि में जिनकी उपज निर्धारित औसत उपज से 1 किग्रा प्रति हैक्टेयर कम होगी वे भी लांइसेंस के पात्र रहेंगे। लाईसेंस धारी की मृत्यु हो जाने की स्थिति में उनके वैद्य उत्तराधिकारीयों को भी इस इस वर्ष में पट्टा दिया जायेगा। गत वर्ष पट्टा लेते समय लाइसेंसधारी काश्तकार ने फार्म संख्या 1 में उत्तराधिकारी घोषित कर दिया हो तथा उस लाईसेंसधारी काश्तकार दिवंगत हो गया हो तो उसके द्वारा नामित व्यक्ति को पट्टा दिया जाने का नियम भी पहली बार इस नीति में शामिल किया गया। NDPS से दोषमुक्त किसानों को मिली राहत भी इस बार पुनः दी गई है। 1984 में जब से यह कानून बना तब से लेकर अब तक पहली बार NDPS एक्ट के प्रकरणों में न्यायालय द्वारा दोषमुक्त किसानों को राहत प्रदान करते हुए उनके लाइसेंस को बहाल किये जाने का निर्णय किया गया है। पिछले वर्ष भी जिन कृषको को इसके तहत राहत मिली लेकिन प्रक्रियारत होने के कारण उनके लाइसेंस रुके थे उनको भी बहाल किया जा रहा है।