कनेरा न्यूज़
धन, धान्य,सुख-समृद्धि की दाता महालक्ष्मी जी के स्वागत में घोर अंधकार युक्त अमावस्या को प्रकाशमान करने वाला नन्हा दीपक ही वह नायक है जो छोटी से छोटी शुरुआत करने की प्रेरणा देता है और राह दिखाता है। भले ही वह चल नहीं सकता, लेकिन चलने वालों को अपने प्रकाश से अच्छे-बुरे, खरे-खोटे और सही गलत को देखने का उजास देता है। दीपावली महापर्व को न केवल श्रद्धा व उल्लास से अपितु सुनहरे भविष्य की उम्मीद से मनाया जाता है। गरीब से गरीब और अमीर-अमीर मनोयोग से प्रार्थना करता है कि माता लक्ष्मी जी की उस पर और उसके परिवार पर असीम कृपा बनी रहे। दीपावली को लक्ष्मी के जन्मोत्सव या प्रकटोत्सव के रूप में मनाया जाता है। दीपावली से पूर्व घर-आंगन की साफ-सफाई करके दीप जलाकर हम महालक्ष्मी के स्वागत के लिए पूजा-अर्चना के साथ जागते रहते हैं कि लक्ष्मी जी हमारे यहां पधार कर धन-धान्य से परिपूर्ण करें। जीवन में पर्याप्त धन हो तो हम धनवान अवश्य हो सकते हैं। लेकिन "लक्ष्मीवान" वहीं होता है। जिसके जीवन में धन के साथ का भंडार हो, स्वस्थ व स्वच्छ मानसिकता भी हो। तभी सही अर्थों में लक्ष्मीवान कहलाता है।
धन, धान्य,सुख-समृद्धि की दाता महालक्ष्मी जी के स्वागत में घोर अंधकार युक्त अमावस्या को प्रकाशमान करने वाला नन्हा दीपक ही वह नायक है जो छोटी से छोटी शुरुआत करने की प्रेरणा देता है और राह दिखाता है। भले ही वह चल नहीं सकता, लेकिन चलने वालों को अपने प्रकाश से अच्छे-बुरे, खरे-खोटे और सही गलत को देखने का उजास देता है। दीपावली महापर्व को न केवल श्रद्धा व उल्लास से अपितु सुनहरे भविष्य की उम्मीद से मनाया जाता है। गरीब से गरीब और अमीर-अमीर मनोयोग से प्रार्थना करता है कि माता लक्ष्मी जी की उस पर और उसके परिवार पर असीम कृपा बनी रहे। दीपावली को लक्ष्मी के जन्मोत्सव या प्रकटोत्सव के रूप में मनाया जाता है। दीपावली से पूर्व घर-आंगन की साफ-सफाई करके दीप जलाकर हम महालक्ष्मी के स्वागत के लिए पूजा-अर्चना के साथ जागते रहते हैं कि लक्ष्मी जी हमारे यहां पधार कर धन-धान्य से परिपूर्ण करें। जीवन में पर्याप्त धन हो तो हम धनवान अवश्य हो सकते हैं। लेकिन "लक्ष्मीवान" वहीं होता है। जिसके जीवन में धन के साथ का भंडार हो, स्वस्थ व स्वच्छ मानसिकता भी हो। तभी सही अर्थों में लक्ष्मीवान कहलाता है।