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वसुंधरा राजे के दौरे पर BJP हुई मौन, संगठन ने बताया व्यक्तिगत यात्रा

बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की देव दर्शन यात्रा के बीच उनके कार्यक्रमों की तस्वीरें मीडिया से ज्यादा सोशल मीडिया पर भी दिख रही हैं. मेवाड़ और वागड़ के बाद वसुंधरा राजे मेरवाड़ा पहुंच गई हैं. इधर राजे अपनी यात्रा को धर्म नीति बता रही हैं, लेकिन बीजेपी के नेता इस पर कुछ भी नहीं बोलने की नीति अपनाए हुए हैं. पार्टी के भीतर कार्यकर्ताओं और नेताओं में राजे की यात्रा को लेकर आपसी चर्चा तो होती है, लेकिन आधिकारिक बयान की बात आते ही सब नेता अपनी सीमा की दुहाई देकर बच रहे हैं.

बीजेपी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे  देव दर्शन यात्रा पर निकली हुई हैं. अपनी यात्रा के अंतिम चरण में राजे मेरवाड़ा पहुंच गई है. यहां उन्होंने पुष्कर में दर्शन करने के साथ अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह में जियारत भी की. वसुंधरा राजे के दौरे में मेवाड़, वागड़ मेरवाड़ा और मारवाड़ के अंचल कवर हो रहे हैं. इस दौरान तीन अंचल में पार्टी के कार्यकर्ताओं और पुराने साथियों के साथ आम जनता का रुझान भी दिखाई दिया है. मीडिया के साथ सोशल मीडिया पर भी राजे की इस यात्रा की चर्चा हो रही है. हालांकि राजनीति में किसी भी नेता का कोई कार्यक्रम शक्ति प्रदर्शन से परे नहीं माना जाता, लेकिन वसुंधरा राजे का कहना है कि उनकी यह यात्रा राजनीति से जुड़ी नहीं है. वे खुद कहती हैं कि वे राजनीति पर नहीं बल्कि धर्म नीति पर भरोसा करती हैं.

वसुंधरा राजे की देव दर्शन यात्रा को लेकर मीडिया और सोशल मीडिया पर तो चर्चा हो रही है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के नेता इस पर ज्यादा कुछ बोलने से बच रहे हैं. जो नेता बयान दे रहे हैं वह भी सीमित शब्दों में ही अपनी बात रख रहे हैं. बीजेपी के नेताओं का कहना है कि वसुंधरा राजे धार्मिक महिला हैं और किसी को भी अपनी धार्मिक आस्था के अनुसार मंदिरों में जाने की छूट है. प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ से लेकर प्रदेश मुख्य प्रवक्ता रामलाल शर्मा और पूर्व मंत्री वासुदेव देवनानी तक सभी सधे हुए शब्दों का इस्तेमाल करते दिख रहे हैं. नेताओं का कहना है कि अपनी अपनी श्रद्धा के मुताबिक वे लोग भी मंदिर और देव दर्शन के लिए जाते रहते हैं.

राजे की इस यात्रा पर संगठन की भी नजर है. पार्टी के सूत्रों का कहना है कि कुछ नेताओं ने राजे की इस यात्रा को लेकर केंद्रीय नेतृत्व से शिकायत भी की, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने इसमें ज्यादा दखल देने से इनकार कर दिया. उधर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया से राजे की यात्रा पर उनका नजरिया पूछा गया तो उन्होंने कहा कि, 'वसुंधरा राजे देश प्रदेश की आदरणीय नेता हैं और यह उनकी व्यक्तिगत यात्रा है.' पूनिया ने कहा कि वे नहीं समझते कि इस पर कोई राजनीतिक टिप्पणी की जाए.

यात्राओं के इस दौर में धर्मनीति बनाम राजनीति की बात तो हो रही है लेकिन धार्मिक यात्रा पर अगर राजनीति से जुड़े लोग साथ आएं तो उसे क्या कहा जाए और कैसे समझा जाए? सवाल यह भी कि अगर धर्म को राजनीति से निकाल दिया जाएगा तो क्या राजनीति में लोगों की रुचि और उनकी भागीदारी में फर्क आ सकता है? बहरहाल यह सभी सवाल अपनी जगह हैं लेकिन बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं के लिए फिलहाल तो सबसे बड़ा सवाल यह है कि वसुंधरा राजे की इस यात्रा के आखिर क्या मायने हैं? इस सवाल का जवाब सभी अपने-अपने तरीके से सोच रहे हैं... क्योंकि सबका अपना नजरिया है.